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के.एल. यूनिवर्सिटी के छात्र ने शिकायत दर्ज करने के लिए ई-कंप्लेंट फाइलिंग सुविधा के साथ साइबर सुरक्षा ऐप विकसित किया
भारत में साइबर हमलों के लगातार बढ़ रहे खतरे का मुकाबला करने के लिए डी. राहुल शशांक ने यह साइबर-अलर्ट ऐप विकसित किया
वड्डेश्वरम (विजयवाड़ा) / हैदराबाद, नवंबर, 2021 – ग्रेजुएशन और उच्च शिक्षा के लिए देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक, के.एल. डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी ने आज घोषणा की है, कि उसके एक छात्र ने शिकायत दर्ज करने के लिए ई-कंप्लेंट फाइलिंग के अलावा साइबर इंटर्नशिप, साइबर परामर्श जैसी ढेर सारी सुविधाओं से सुसज्जित एक ‘साइबर सुरक्षा ऐप’ बनाया है। इसके अलावा, यह पहला ऐसा साइबर अलर्ट ऐप है, जो अंग्रेज़ी और तेलुगु भाषाओं में उपलब्ध होगा। आज के दौर में डिजिटल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया यह अनोखा ऐप सरल एवं सुविधाजनक होने के साथ-साथ साइबर खतरे से सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। महामारी की शुरुआत के बाद से ही भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में साइबर हमलों और इंटरनेट से जुड़े खतरों के मामलों में काफी वृद्धि हुई है। साल 2021 में डिजिटल माध्यमों से काम करने वाले लोगों एवं छात्रों की संख्या बढ़ने के साथ ही इन हमलों की गुंजाइश भी कई गुना बढ़ गई।
कैस्पर्सकी सिक्योरिटी नेटवर्क (KSN) की हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 की दूसरी तिमाही में भारत में साइबर खतरे से जुड़े 8.30 करोड़ मामले दर्ज किए गए, जो पिछले साल की इसी तिमाही में दर्ज किए गए 1.67 करोड़ खतरों से 80% अधिक है। साइबर धोखाधड़ी और साइबर सुरक्षा से जुड़े खतरों में बढ़ोतरी को देखते हुए, साइबर अपराध के बारे में जानकारी के व्यापक स्रोत के साथ-साथ ऐसे अपराधों से बचाव के उपायों की आवश्यकता है। के.एल. डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी में कॉलेज ऑफ लॉ में बीबीए, एलएलबी में अपनी स्नातक की डिग्री के अंतिम वर्ष के छात्र, डी. राहुल शशांक ने महामारी के दौरान इसकी आवश्यकता को जल्दी ही पहचान लिया। उन्होंने उपयोगकर्ताओं को डिजिटल पहचान की सुरक्षा के हर चरण में सहायता करने के लिए साइबर अलर्ट ऐप विकसित किया है।
यह ऐप उपयोगकर्ताओं को साइबर धोखाधड़ी का शिकार बनने से पहले ही उन्हें खतरे की सूचना देता है। जानकारी, मार्गदर्शन और समाधान को अच्छी तरह मिलाकर तैयार किए गए इस साइबर अलर्ट ऐप में कई विशेषताएं हैं, जो उपयोगकर्ता को साइबर अपराध को अच्छी तरह समझने में मदद करते हैं तथा इससे निपटने के तरीके भी बताते हैं। इस की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- साइबर अपराध की शिकायतें दर्ज करने की सुविधा– उपयोगकर्ता ई-फाइलिंग लिंक के माध्यम से साइबर अपराध की शिकायत दर्ज कर सकते हैं, और इसके आवेदन में अस्वीकरण भी मौजूद होता है।
- साइबर शिकायतों की निगरानी / वर्तमान स्थिति को जानने की सुविधा– कोई भी व्यक्ति इस एप्लीकेशन के जरिए दर्ज किए गए शिकायतों की स्थिति की जांच कर सकता है।
- साइबर क्षेत्र से जुड़ी जानकारी – इस ऐप पर उपयोगकर्ताओं के लिए साइबर सुरक्षा और साइबर कानून से जुड़ी अध्ययन सामग्री, आई.टी. अधिनियम 2000 और आई.टी. अधिनियम 2008, साइबर फॉर्म और साइबर सुरक्षा से संबंधित नवीनतम खबरें, इत्यादि उपलब्ध होंगे।
- साइबर पुलिस स्टेशन – इस ऐप पर साइबर पुलिस थानों की सूची उपलब्ध होगी, तथा उपयोग करता अपने फोन में जी.पी.एस. / लोकेशन को इनेबल करके अपने नजदीकी साइबर पुलिस स्टेशन का पता लगा सकते हैं।
- साइबर इंटर्नशिप – इस ऐप पर साइबर सुरक्षा में इंटर्नशिप और वर्कशॉप और उन में भाग लेने से संबंधित सर्वोत्तम जानकारी उपलब्ध हैं।
- साइबर कानूनी सहायता – साइबर कानूनी सहायता को दो उप-मॉड्यूल, यानी साइबर विशेषज्ञ परामर्श और साइबर स्वयंसेवक में विभाजित किया गया है।
उद्यमियों की इस टीम में संस्थापक एवं सीईओ, डी. राहुल शशांक, (बीबीए, एलएलबी, 2017-22 के छात्र), सह-संस्थापक, डॉ. के.आई. पवन कुमार, (विभागाध्यक्ष, कानून विभाग, के.एल. कॉलेज ऑफ लॉ), चीफ टेक्नीशियन ऑफिसर, विनय आरे, (के.एल. के पूर्व छात्र, 2012-16), अध्यक्ष और एमडी – आर. साई आशीष यशवंत, (बीबीए 2019-22 के छात्र), महाप्रबंधक, डी. तिरुमाला तरुण (बी.टेक, ईईई, 2018-22 के छात्र) शामिल हैं। युवा उद्यमियों को ऐप के सलाहकार बोर्ड के रूप में उद्योग जगत के जाने-माने विशेषज्ञों और विचारशील लोगों का सशक्त समर्थन प्राप्त है, जिसका गठन के.एल. यूनिवर्सिटी के सलाहकारों ने बेहद सोच-समझकर किया है। सलाहकार बोर्ड में अन्य लोगों के अलावा, देश के सुप्रसिद्ध वकील श्री पवन दुग्गल भी शामिल हैं। यह ऐप अब गूगल प्ले स्टोर पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है।
इस मौके पर ‘साइबर अलर्ट’ के संस्थापक एवं सीईओ, डी. राहुल शशांक ने कहा, “अक्सर आम उपयोगकर्ताओं को यह पता ही नहीं चल पाता है, कि कोई बिना इजाजत के आपकी निजी जानकारी तक पहुंच रहा है। महामारी के दौरान साइबर हमलों की बढ़ती संख्या ने हमें इस ऐप को विकसित करने के लिए प्रेरित किया। हमारी यूनिवर्सिटी को इस उद्यम पर पूरा भरोसा था और इसे तैयार करने के प्रत्येक चरण में उन्होंने हमें सहायता प्रदान की। हम प्राध्यापकों द्वारा प्रदान की गई सलाह और मार्गदर्शन के लिए उनके आभारी हैं।”
छात्रों को इस साहसिक कारनामे पर बधाई देते हुए डॉ. जी. पारधासारधी वर्मा, वाइस-चांसलर, के.एल. डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी, ने कहा, “हमें यह देखकर गर्व हो रहा है कि, हमारे छात्र उद्यमशील हैं और नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभा रहे हैं। उद्योग जगत की रिपोर्टों के अनुसार, वेब सर्फिंग से जुड़े बड़े खतरों के मामले में भारत को दुनिया भर में 37वें स्थान पर रखा गया था। भारत अब पूरी तरह से डिजिटल बन रहा है, और ऐसी परिस्थिति में सुरक्षा उपायों को देखते हुए यह ऐप स्वागत योग्य है। के.एल. डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी में, हम अपने होनहार छात्रों की रचनात्मक प्रतिभा और उनकी अलग सोच को प्रोत्साहन देते हैं, ताकि उन्हें आने वाले कल के लिए ग्लोबल लीडर के रूप में तैयार किया जा सके। निश्चित तौर पर इस साइबर अलर्ट ऐप से दूसरे छात्रों को भी प्रेरणा मिलेगी, जो अपने विचारों को आगे बढ़ाने में संकोच करते हैं।”
के.एल. कॉलेज ऑफ लॉ के प्राचार्य, प्रोफेसर एन. रंगैया ने कहा कि, तकनीकी इंटरफेस कानून को असरदार तरीके से लागू करने के साथ-साथ आम लोगों के बीच कानून के बारे में जागरूकता फैलाने में भी मदद करता है।
विजयवाड़ा स्थित के.एल. डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी के परिसर में नए उद्यमियों को तैयार करने और उन्हें मार्गदर्शन देने के उद्देश्य से अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित अनुसंधान एवं विकास (R&D) प्रयोगशालाओं के साथ-साथ सेंटर फॉर इनोवेशन, इनक्यूबेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (CIIE) भी मौजूद है। CIIE ने 20 करोड़ से अधिक के निवेश के साथ 125 से ज्यादा स्टार्टअप तथा 300 से ज्यादा उद्यमियों को विकसित करने तथा 5 से अधिक प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण में अहम योगदान दिया है। विश्वविद्यालय ने अब तक 350 से अधिक पेटेंट दायर और प्रकाशित किए हैं।